मध्य प्रदेश में चुनाव का शंखनाद बज चुका है। घोषित प्रत्याशी अपनी अपनी विधानसभा में प्रचार शुरू कर चुके हैं पर पॉलिटिकल पंडित और मध्य प्रदेश की जनता कांग्रेस की रणनीति समझ नहीं पा रही है। पहले कांग्रेस ने घोषित तीन उम्मीदवार बदले जो क्षेत्र में प्रचार शुरू कर चुके थे, उसके बाद अब सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस पार्टी अपने 6 उम्मीदवारों को और बदल सकती है। प्रचार के लिए कम समय बचा है। कांग्रेस के उम्मीदवार अपना प्रचार पूरी ताकत से नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनकी उम्मीदवारी कायम रहेगी या ना ही रहेगी, यह भरोसा उन्हें नहीं है। उनमें यह डर बैठा हुआ है कि पता नहीं है उनका टिकट काटकर दूसरे को दे दिया जाए। एक अज्ञात तलवार उनके सिर पर टंगी हुई है कि पता नहीं कब उनको हटा कर दूसरा उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी बाहर से घोषित कर दे क्योंकि चांद सीटों को छोड़कर मध्य प्रदेश में कांग्रेस द्वारा घोषित उम्मीदवारों का भारी विरोध हो रहा है और उनकी खिलाफत करने के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता भारी संख्या में कमलनाथ के बंगले और कांग्रेस कार्यालय पर लगातार पहुंच रहे हैं।
कांग्रेस में फैला हुआ यह असंतोष एक ज्वालामुखी की तरह नजर आ रहा है जो कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी को मध्य प्रदेश में निगल रहा है। कांग्रेस नेतत्व को भी यह अंदाज नहीं था की टिकट की घोषणा के बाद कांग्रेस में इतना भारी असंतोष और विरोध होगा। मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने अपनी इच्छा से टिकट बांटे। हद तो तब हो गई जब छिंदवाड़ा में उनके पुत्र नकुल नाथ ने उम्मीदवार घोषित कर दिए। बिना केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक यह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अखर गया।
वरिष्ठ नेता चाह अरुण यादव हों या सुरेश पचौरी सहित अन्य, इन नेताओं ने चुनाव से अपने आप को किनारे कर लिया। इसलिए जो कांग्रेस में विद्रोह हो रहा है, उसको संभालने वाला कोई नहीं है। लगातार कमलनाथ के बंगले पर हो रहे प्रदर्शन से कमलनाथ ने यह कह दिया कि दिग्विजय सिंह और उनके पुत्र के कपड़े फाड़ो। कांग्रेस पार्टी की घोषणा पत्र जारी करते समय सारी मीडिया के सामने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जो बातें खुलेआम मीडिया के सामने हुईं, उससे कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई और नेताओं के आपसी संबंध की कड़वाहट दिखाई दे गई जो कहीं न कहीं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हताश और निराश कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवारों में की सूची बहुत पहले जारी कर दिए गए थी, उसका लाभ भाजपा उम्मीदवारों को मिल रहा है। वह लंबे समय से जनता के बीच जाकर अपनी सरकार की उपलब्धियां और योजनाओं को प्रचारित कर रहे हैं। साथ ही इक्का-दुक्का जो कार्यकर्ता उम्मीदवार से नाखुश थे, उन्हें भी उन्होंने मना लिया है। उसके उलट कांग्रेस के उम्मीदवार बयान जारी कर रहे हैं कि कल मैं यहां उम्मीदवार रहूंगा कि नहीं रहूंगा, मुझे पता नहीं है। ऐसी स्थिति पहले कभी कांग्रेस में दिखाई नहीं दी थी। कांग्रेस का नेतृत्व बिखरा हुआ है। साथ ही पूरे प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को समझ में नहीं आ रहा वह किसकी बात मानें और किसके साथ खड़े हों, यह सब कांग्रेस के लिए घातक है। जो चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की वर्चस्व की लड़ाई का खामियाजा कांग्रेस पार्टी को मध्य प्रदेश में भोगना पड़ रहा है।
पुत्र मोह में डूबे हुए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने पूरी कांग्रेस पार्टी को हाशिए पर ढकेल दिया है और कांग्रेस का कार्यकर्ता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। वह आपस में बात कर रहा है कि कांग्रेस का नेतृत्व भाजपा को तश्तरी में रखकर सरकार पेश कर रहा है। कांग्रेस ने जब तीन उम्मीदवारों को बदला तो और जमकर कांग्रेस में विद्रोह होने लगा क्योंकि कांग्रेस के अन्य उम्मीदवार नेताओं को यह उम्मीद जगी कि अगर तीन जगह पर उम्मीदवार बदले जा सकते हैं तो अन्य जगहों पर भी उम्मीदवार बदले जा सकते हैं। यह रणनीति कांग्रेस के लिए घातक साबित हो रही है। इस बार का विधानसभा चुनाव लगता है कांग्रेस की गुट बाजी की भेंट चढ़ जाएगा जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को चुनाव में भोगना पड़ेगा।

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