लंबे समय से जनता विधानसभा चुनाव के परिणाम का इंतजार कर रही थी। तीन प्रदेशों के चुनाव परिणाम अपने आप में एक नया इतिहास रच गए। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी। कांग्रेस पार्टी गुटबाजी को अपनी ताकत बताती थी। कांग्रेस के नेता इसे अपना आंतरिक लोकतंत्र बताते थे पर तीनों प्रदेश में कांग्रेस की यही गुटबाजी उसके लिए नासूर साबित हुई।
मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की अदावत की चर्चा पूरे चुनाव में होती रही, जहां कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का नाम आता था, वहां कपड़े फाड़ने की चर्चा अपने आप होने लगती थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कई कबीले बन गए थे जिनके सरदार अलग-अलग थे।
एक कबीले के सरदार कमलनाथ तो दूसरे कबीले के सरदार दिग्विजय सिंह, तीसरे कबीले के सरदार अरुण यादव, ऐसे कई कबीले मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में बने हुए थे जो एक दूसरे को देखना पसंद नहीं कर रहे थे। हर कबीले का सरदार अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाने और दूसरे कबीले के लोगों को निपटाने में लगा हुआ था जिसका परिणाम यह हुआ के मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी निपट गई और उसकी बुरी तरह से हार हुई।
इसी तरह राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के झगड़े पूरे 5 साल राजस्थान में दिखाई दिए। नौबत यहां तक आ गई कि गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट अपने विधायकों को लेकर दिल्ली में डेरा डाले रहे। मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी पूरी ताकत लगाकर सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटवाया और उप मुख्यमंत्री के पद से हटाया। सचिन पायलट के गुट के कई मंत्रियों को हटाया। सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन आंदोलन करते रहे। गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व सचिन पायलट करते हैं। पूरे गुर्जर समाज ने अपने नेता का अपमान का बदला गहलोत को चुनाव में निपटा कर लिया। परिणाम हम सबके सामने हैं, आज पूर्ण बहुमत की भारतीय जनता पार्टी की सरकार राजस्थान में बन गई।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की अदावत पूरे 5 वर्ष तक छत्तीसगढ़ में दिखाई देती रही। भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री के पद से हटाने के लिए टीएस सिंहदेव ने एड़ी चोटी का जोर लगाया। कई बार दिल्ली दरबार में भूपेश बघेल ने अपने विधायकों की परेड कराई। टीएस सिंहदेव बार-बार यह कहते थे कि कांग्रेस आलाकमान ने उनसे वादा किया था कि ढाई वर्ष बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की आपस की लड़ाई कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के चलते जहाज को टाइटेनिक में बदलने के काम आई। आज अगर कांग्रेस का जहाज डूबा तो उसमें टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल की आपस की लड़ाई भी बड़ा कारण बनी।
5 वर्ष तक लगातार मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेता एक दूसरे को निपटाने में लगे थे पर कांग्रेस का आला कमान आंखों पर पट्टी बांधकर बैठा हुआ था और कभी भी इस लड़ाई को शांत करने का प्रयास नहीं किया। चलते चुनाव के समय इन लोगों में आपस में समझौता करने का कांग्रेस नेतृत्व के दिल्ली दरबार ने कई बार प्रयास किया पर वह काम नहीं आया। जनता इन लड़ाई झगड़ों से आजिज आ गई थी और उसने मन बनाकर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट किया।
इन तीनों प्रदेशों में कांग्रेस की हार का एक सबसे बड़ा कारण प्रमुख रूप से गुटबाजी रही और तीनों प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई। तीनों प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी और तेजी से बढ़ रही है। तीनों प्रदेश में भूपेश बघेल, कमलनाथ और गहलोत के लोग पार्टी के पदों पर काबिज हैं, उनसे इस्तीफा की मांग कांग्रेस पार्टी में तेजी से बढ़ रही है। कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक कर पीता है पर लगता है यह कहावत कांग्रेस नेताओं के लिए नहीं बनी है।
(लेखक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं)

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